आज़ादी के 73 वर्षो के बाद भी पूरे देश मे न तो पंचायती राज लागू हो सका

ONE NEWS LIVE NETWORK/ SAMASTIPUR/ सिद्धार्थ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का पंचायत प्रतिनिधियों के साथ लाइव संबोधन कल हुआ और माननीय उप राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी का पंचायतों पर उनके विचार कई अखबारों में छपे।लेकिन पंचायत को सशक्त कर ग्रामराज्य या रामराज्य की स्थापना हेतु सरकारी पहल क्या होगी उसकी चर्चा अधूरी रह गई।
पंचायतों के प्रति डॉ भीमराव अम्बेडकर के पूर्वाग्रह के कारण पंचायत राज्य अनुसूची में संविधान में जोड़ी गई जिसके परिणामस्वरूप आज़ादी के 73 वर्षो के बाद भी पूरे देश मे न तो पंचायती राज लागू हो सका और न ही देश के विभिन्न प्रदेशों के पंचायती राज एक्ट में समरूपता ही लाई जा सकी।जिसके फलस्वरूप पंचायतों का एकीकृत विकास नही हो सका।आजादी के बाद पंचायतो के विकास हेतु जितनी भी कमिटियां बनी उसके सुझावों का पालन ईमानदारीपूर्वक नही हो सका।यहाँ तक कि संविधान के 73वे एवं 74 वे संसोधन में पंचायतो को जो अधिकार दीये गए वे 27-28 वर्ष बितने के बाद भी लागू नही हुये।
सरकार द्वारा शतत विकाश के लक्ष्य (Sustainable Development Goals,SDG) 2030 निर्धारित किये गये है।जो पंचायतों के सक्रिय भागीदारी के बिना हासिल नही किये जा सकते।शतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने हेतु पंचायतो को प्रदत 29 विभागों को समाहित कर पंचायतो में ग्राम पंचायत विकास योजना(Gram Panchayt Development Plan,GPDP) का निर्माण वार्डसभा व ग्रामसभा के माध्यम से किये जाने है। जिससे पंचायत के विकास को धरातल पर उतारा जा सके।
कोरोना संक्रमण काल मे प्रवासी मजदूरों की पूरे देश मे बाढ़, वार्ड व पंचायत विकास योजना का निर्माण(GPDP) सही से नही होने का परिणाम है।पंचायत प्रतिनिधियों को ग्राम पंचायत विकास योजना(GPDP) बनाने का समुचित प्रशिक्षण प्रदान नही किये जाने से देश-प्रदेश के अधिकांश पंचायतों में GPDP का निर्माण कुछएक पंचायतों के GPDP का नकल (कट-पेस्ट) कर बनाये जा रहे हैं।जिसमें मौलिकता का अभाव होने के कारण पंचायतो का विकास व लोगो के लिये समुचित रोजगार सृजन धरातल पर नही हो रहे हैं।पंचायत की अधिकांश समितियों की बैठक निर्धारित समय पर नही हो रही हैं जिससे अधिकांश समितियों के सदस्यों में समझ व कार्य संस्कृति विकसित नही हो पा रही हैं।कहीं- कहीं तो वार्डसभा व ग्रामसभा रजिस्टर के पन्नो तक ही सीमित हैं।

महात्मा गाँधी-डॉ राजेन्द्र प्रसाद-जयप्रकाश नारायण के सपनो के आत्मनिर्भर ग्राम पंचायत को धरातल पर उतारने के लिये संविधान के 73 वे एवं 74 वे संसोशन में पंचायतो को दिए गए अधिकारों को पंचायत को अविलम्ब देना होगा।

डॉ मिथिलेश कुमार,
अध्यक्ष,चेतना सामाजिक संस्था सह
प्रशिक्षक,पंचायती राज।


बिहार के न्याय पंचायतो को 10000(दस हजार)रुपये तक के जमीनी विवाद देखने का अधिकार हैं जबकि बिहार सरकार ने बिहार में जमीन की न्यूनतम कीमत 40000(चालीस हजार)रुपये तय कर रखी हैं।अधिकांश न्याय पंचायतो में न्याय सचिव व न्याय मित्र की बहाली नही की गई और न ही चौकीदार ही न्याय पंचायत की प्रतिनियुक्त किये गए है।
भारत के ऐतिहासिक स्वर्णिम ग्राम पंचायत व महात्मा गाँधी-डॉ राजेन्द्र प्रसाद-जयप्रकाश नारायण के सपनो के आत्मनिर्भर ग्राम पंचायत को धरातल पर उतारने के लिये संविधान के 73 वे एवं 74 वे संसोशन में पंचायतो को दिए गए अधिकारों को पंचायत को अविलम्ब देना होगा।पंचायतों को आधारभूत संरचना व संसाधन के आलोक में GPDP निर्माण कर रोजगार सृजन कर मजदूरों के बाढ़ को शहरों में जाने से रोकना होगा व सर्वांगीण विकास को धरातल पर उतार कर भारत सरकार द्वारा निर्धारित शतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने में सहयोग करना होगा।

Published by BIHAR ONE NEWS NETWORK

संघर्ष का एक मामूली प्रतिनिधि साथी राम बालक राय Foundar and Editor onenewslivein.com onenewslivein.wordpress.com https://onenewslivein.wordpress.com Biharone.wordpress.com You may whatsapp 9934874811, 9525830652, Calling 7903475734, ईमेल rambalaksahara@gmail.com https://twitter.com/rambalaksahara https://www.facebook.com/rambalak.roy.58

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