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पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने सौपा अपना रिपोर्ट
दक्षिण अफ्रीका व जापान में नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल, दोनों के लिए एक साथ मतदान होता है। हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के चक्र में प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। इस साल 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में आम चुनाव होंगे। वहीं, स्वीडन में आनुपातिक चुनाव प्रणाली के आधार पर चुनाव होते हैं।
ONE Nation One Election Update #2024
दक्षिण अफ्रीका में नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल, दोनों के लिए एक साथ मतदान होता है। हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के चक्र में प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। इस साल 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में आम चुनाव होंगे। वहीं, स्वीडन में आनुपातिक चुनाव प्रणाली के आधार पर चुनाव होते हैं।
कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव की सिफारिश करने से पहले दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, जर्मनी, बेल्जियम, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपीन की चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। इन देशों में एक साथ चुनाव होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव के मुद्दे से निपटने के दौरान अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। इसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करना और उन्हें अपनाना था।
दक्षिण अफ्रीका में नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल, दोनों के लिए एक साथ मतदान होता है। हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के चक्र में प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। इस साल 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में आम चुनाव होंगे। वहीं, स्वीडन में आनुपातिक चुनाव प्रणाली के आधार पर चुनाव होते हैं। इस प्रणाली में राजनीतिक दलों को उनके वोटों के आधार पर निर्वाचित विधानसभा में सीटें दी जाती हैं। समिति ने बताया कि स्वीडन में वोटिंग के लिए अपनाई जाने वाली प्रणाली में संसद (रिक्सडैग), काउंटी परिषदों और नगर परिषदों के लिए चुनाव एक ही समय में होते हैं।
कश्यप ने जर्मन मॉडल का किया समर्थन
[3/18, 7:19 AM] rambalaksahara: समिति के सदस्य और संविधानविद सुभाष सी कश्यप ने जर्मन मॉडल का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग के चुनाव में मतदाता एक साथ दो वोट डालते हैं। इनमें से एक वोट स्थानीय उम्मीदवार के लिए होता है और दूसरा वोट पार्टी के लिए। इसके साथ ही उन्होंने जापान की चुनावी प्रक्रिया का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत में इन दोनों में से कोई एक प्रक्रिया अपनाई जा सकती हैं। जापान में प्रधानमंत्री को पहले नेशनल डायट (जापानी संसद) द्वारा चुना जाता है। इसके बाद उस पर अंतिम मुहर जापान के राजा द्वारा लगाई जाती है।
1983 में चुनाव आयोग ने दिया था सुझाव
देश में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव 1983 से अब तक कई रिपोर्ट में दिया गया। सबसे पहले चुनाव आयोग ने 1983 में तो विधि आयोग ने 1999, 2015 और 2018 में अपनी रिपोर्ट में नागरिकों और राजनीतिक दलों और सरकार अधिकारियों को चुनावों के बोझ से मुक्त करने के लिए एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया को अपनाने का सुझाव दिया था।
अब तक क्या हुआ
1983 : चुनाव आयोग की ओर से एक देश, एक चुनाव का सुझाव दिया गया।
1999 : विधि आयोग (अध्यक्ष जस्टिस बीपी जीवन रेड्डी) ने चुनावी कानूनों में सुधार पर अपनी 170वीं रिपोर्ट दी।
2002 : राष्ट्रीय आयोग ने अलग-अलग चुनावों के अभिशाप को पहचाना और एक साथ चुनाव कराने का आग्रह किया।
2017 : नीति आयोग ने एक देश एक चुनाव पर वर्किंग पेपर तैयार किया।
2018 : विधि आयोग (अध्यक्ष: न्यायमूर्ति बीएस चौहान) ने एक साथ चुनावों पर रिपोर्ट जारी की।
15 अगस्त 2019 : स्वतंत्रता दिवस के भाषण (लाल किले से) के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का अपना विचार दोहराया।
सितंबर 2023 : केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक देश, एक चुनाव’ पर समिति बनाई।
2 सितंबर 2023 : समिति के सदस्यों का एलान हुआ, गृह मंत्री सहित 7 सदस्य बनाए गए।
23 सितंबर 2023 : समिति की पहली बैठक हुई।
14 मार्च 2024 : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी।
2019 में 16 दलों ने किया था समर्थन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 में एक सर्वदलीय बैठक हुई थी। इसमें शामिल 19 दलों में से 16 ने एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन किया था, जबकि सिर्फ तीन दल माकपा, एआईएमआईएम और आरएसपी ने विरोध किया था।